Article 370: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ‘सुप्रीम कोर्ट’ ने कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने को बरकरार रखने का फैसला सुनाया

Article 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

भारत की शीर्ष अदालत ने पूर्व राज्य जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा छीनने के भारत की मोदी सरकार के फैसले को बरकरार रखा है|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2019 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर को महत्वपूर्ण राज्य का दर्ज़ा प्राप्त था। जिसके फलस्वरूप यह 2 केन्द्र शासित प्रदेशो में विभाजित हो गया है|Article 370 राज्य को अपना अलग संविधान, अलग झंडा और कानून बनाने की आजादी देता था।

इसके विरुद्ध कुछ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की|याचिकाकर्ताओं ने कहा कि Article 370 को निरस्त करने से लोगों की इच्छा पर विचार किए बिना क्षेत्र की आंतरिक संप्रभुता भी छीन ली गई। लेकिन सरकार ने दावा किया था कि यह संप्रभुता 1947 में भारत को सौंप दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा, “जम्मू-कश्मीर राज्य की आंतरिक संप्रभुता अन्य राज्यों से अलग नहीं है।” वही 5 न्यायाधीशों की पीठ ने यह भी आदेश दिया कि इस क्षेत्र को “जल्द से जल्द” राज्य के रूप में बहाल किया जाना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा कि सितंबर 2024 तक इस क्षेत्र में चुनाव कराना चाहिए।

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पांच न्यायाधीशों की पीठ की सहमति वाले फैसले में, न्यायमूर्ति एसके कौल ने सिफारिश की कि पिछले कुछ दशकों में “राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं” दोनों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए कश्मीर में एक “निष्पक्ष सत्य और सुलह आयोग” स्थापित किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तीसरे कार्यकाल की मांग से कुछ महीने पहले Article 370 पर आए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से क्षेत्र के स्थानीय राजनेताओ में नाराजगी है|जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह “निराश हैं लेकिन हतोत्साहित नहीं”।

Article 370 पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सुरक्षा व्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद क्षेत्र में सोमवार सुबह से ही सुरक्षा व्यवस्था में बढ़ोतरी की गई है|सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं|

कश्मीर क्षेत्र के महानिरीक्षक वीके बर्डी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं कि कश्मीर घाटी में हर परिस्थिति में शांति बनी रहे।”

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जम्मू-कश्मीर का इतिहास

ब्रिटिश शासन के दौरान जम्मू-कश्मीर भारत की एक रियासत थी|साल 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद तत्कालिन राजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर रियासत को भारत में विलय करने का फैसला लिया था|उसके बाद से ही जम्मू-कश्मीर स्वतंत्र भारत का एक अभिन्न हिस्सा रहा है|

वही विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर बार-बार कब्ज़ा करने का प्रयास करता आया है|तभी से दोनों देशो के बीच कश्मीर को लेकर एक लंबा संघर्ष चला आ रहा है|

 

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